आर्द्रा

 . आर्द्रा नक्षत्र,3/24से4/3

सांख्य योग 11/24/27

1कपिल जन्म,2 देवहूति को भक्ति योग,3 मअह्न आदि तत्व,

 4प्रकृति पुरूष (सजीव, निर्जीव) विवेक से मोक्ष, 5योगविधि,

 6काल की महिमा, 7अधोगति, 8गति, 

9उच्च गति, 10तत्वज्ञान (मोक्ष) 11मनुकन्याए,12दक्षप्रसूति,13 यज्ञ

Apparently entering among the variegated species of living beings You have created, You inspire them to act, manifesting Yourself according to their higher and lower positions, just as fire manifests differently according to the shape of what it burns. Therefore those of spotless intelligence, who are altogether free from material attachments, realize Your undifferentiated, unchanging Self to be the permanent reality among all these impermanent life forms.

ŚB 10.87.19

स्वकृतविचित्रयोनिषु विशन्निव हेतुतया

तरतमतश्चकास्स्यनलवत् स्वकृतानुकृति: ।

अथ वितथास्वमूष्ववितथं तव धाम समं

विरजधियोऽनुयन्त्यभिविपण्यव एकरसम् ॥ १९ ॥

२४-श्रीकपिलदेवजीका जन्म 

२५-देवहूतिका प्रश्न तथा भगवान् कपिलद्वारा भक्तियोगकी महिमाका वर्णन 

२६-महदादि भिन्न-भिन्न तत्त्वोंकी उत्पत्तिका वर्णन 

२७-प्रकृति-पुरुषके विवेकसे मोक्ष-प्राप्तिका वर्णन 

२८-अष्टांगयोगकी विधि 

२९-भक्तिका मर्म और कालकी महिमा 

३०-देह-गेहमें आसक्त पुरुषोंकी अधोगतिका वर्णन 

३१-मनुष्ययोनिको प्राप्त हुए जीवकी गतिका वर्णन 

३२-धूममार्ग और अर्चिरादि मार्गसे जानेवालोंकी गतिका और भक्तियोगकी उत्कृष्टताका वर्णन 

३३-देवहूतिको तत्त्वज्ञान एवं मोक्षपदकी प्राप्ति


जलेषु मां रक्षतु मत्स्यमूर्ति- र्यादोगणेभ्यो वरुणस्य पाशात् ⁠। स्थलेषु मायावटुवामनोऽव्यात्                                  त्रिविक्रमः खेऽवतु विश्वरूपः ⁠।⁠।⁠१


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